Par le Dr Surya Bhagwati
Médecin interne en chef
BAMS, DHA, DHHCM, DHBTC | Plus de 30 ans d'expérience
या पाइल्स एक आम और तकलीफदायक बीमारी है। रोगी को कब्ज, मलद्वार में दर्द, , जलन और मस्से निकलना जैसी परेशानियां होती है। चलने, बैठने या बाथरूम जाने जैसे कामों को करते समय दर्द होता है। इलाज कराना तकलीफों से राहत देता , नहीं तो भगंदर या फिस्टुला जैसी परेशानिया हो सकती है। लेते के कारण, और इलाज के बारे में:
होता है?
की चारों ओर मौजूद नसों पर कब्ज या अन्य कारणों से दबाव पड़ने से खिंचाव आता है। वे सूज कर फूलती है। गुदा के अंदर या बाहर की तरफ किसी एक जगह पर मस्से बनते जिन्हें बवासीर कहा जाता हैं।
(Anus) में तथा मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से में दबाव पड़ने के कुछ मुख्य कारण है:-
- बवासीर की सबसे बड़ी वजह है। सूखेपन और कठोरता के कारण व्यक्ति को मलत्याग करने में कठिनाई होती है और लंबे समय तक उकड़ू बैठे पड़ता गुदा की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता , वे उभर जाती है और मस्से निकल आते है।
- में फाइबर की कमी; -मसाले युक्त और हुई चीजों का अधिक सेवन
- में गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का आकार बढ़ने से पेट के अंदर दबाव बढ़ता है। के समय गुदा की नसों में खिंचाव आता है। वजहों से महिलाओं में बवासीर हो सकता है।
- वजन उठाना, काम के वजह से रहना बवासीर होने की संभावनाये बढ़ाता है।
- उम्र के ; पेट के अंदर दबाव बढ़ना, इन वजहों से भी पाइल्स होने की आशंका बढ़ती है।
बवासीर का 'अर्श के नाम से विस्तार से वर्णन किया गया है। और जीवनशैली के चलते शरीर के वात, पित्त एवं कफ इन तीनों दोषों के दूषित होने से अर्श की उत्पत्ति होती है। के दो मुख्य प्रकार- शुष्क और आर्द्र या स्रावी बताये गए है। कफ की अधिकता से शुष्क अर्श होते हैं जिन से स्राव नहीं होता है लेकिन पीड़ा अधिक होती रक्त की प्रधानता के कारण अर्श के मस्सों से खून निकलता है और उन्हें आर्द्र अर्श खूनी बवासीर कहा जाता
बवासीर के प्रकार (Types de piles):
के चार मुख्य प्रकार है:
- बवासीर: मलाशय के अंदर होने आमतौर पर उन्हें देख या महसूस नहीं कर सकते। में दर्द कम होता है लेकिन मलत्याग करते समय थोड़ा रक्तस्राव या जलन हो सकती है।
- बवासीर: गुदा के बाहर की को प्रभावित करते है। प्रकार में रक्तस्राव, दरार और खुजली होती है। दर्द या अन्य परेशानी बढ़े तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
- बवासीर: में गुदा या निचले में बवासीर की सूज बढ़ कर वे गुदा से बाहर की ओर निकलता काफी दर्दनाक हो सकता है।
- बवासीर: बवासीर के इस प्रकार में रक्त के थक्के बनने लगते है। अक्सर बाहरी होते हैं लेकिन अंदरूनी भी हो सकते हैं। में काफी तेज दर्द होता हैं।
बवासीर और भगंदर में अंतर (Différence entre les pieux et la fistule)
गुदा एवं मलाशय के निचले भाग में स्थित रक्तवाहिनियों में सूजन आने से मस्से निकलते है जब की भगन्दर नहीं होते में मलद्वार के पास फोड़ा आकर एक घावयुक्त नली बनती है जिससे मवाद और खून निकलता है।
बवासीर के लक्षण: (Symptômes de piles)
में ये लक्षण देखे जाते हैंः-
- करते समय अत्यधिक पीड़ा होना या जलन के साथ लाल चमकदार खून का आना।
- ठीक से साफ न होना।
- के आस-पास कठोर, दर्दयुक्त गांठ महसूस होना ।
- के आस-पास , एवं लालीपन, व सूजन रहना।
इन लक्षणों को महसूस कर रहे हो तो उन्हें अनदेखा ना करें और आयुर्वेद डॉक्टर से सलाह ले कर का इलाज कराए।
इलाज है ? (Traitement pour les piles ou les hémorroïdes)
में बिना किसी इलाज के बवासीर ठीक हो सकता है लेकिन ज्यादातर लोगों में इलाज की जरूरत पड़ती की दवाई लेने के साथ खानपान और जीवनशैली में बदलाव करना भी आवश्यक होता है।
बवासीर का घरेलू उपाय (Remèdes à la maison pour les piles):
की शुरुवाती स्थिति में जब लक्षण कम होते है तब यह आसान घरेलू उपाय राहत दे सकते है
1. से ४ सूखे को शाम गिलास पानी में डालकर रख दे। खाली पेट इसका सेवन कर, पानी को भी पिए।
2. का शुद्ध तेल या जैतून का तेल बादी बवासीर में मस्सों पर लगा ने सूजन और जलन कम होती
3. गिलास ताजे छाछ में एक चुटकी नमक और एक चम्मच अजवायन डालकर रोज खाने के बाद पीने से बवासीर में फायदा पहुँचता है।
के मस्से सुखाने के उपाय
के पत्तों को घी में भून ले। कपूर मिलाकर टिकिया बना ले। एक टिकिया गुदद्वार पर बांधने से मस्से सूखने लगते है।
कड़वी तोरई के पत्तों को समान मात्रा ले कर सरसों के तेल के साथ पीस कर मस्सों पर नियमितरूप से लगाने पर वो धीरे सुखकर नष्ट होते
बवासीर की आयुर्वेदिक दवा (Médicaments ayurvédiques pour les piles)
से छुटकारा पाने खासकर पुराने बवासीर का इलाज करने में आयुर्वेदीक दवाईया काफी उपयोगी है।
- बीज गिरी को गुड़ के साथ हर रोज सुबह खाली पेट चबाकर खाये। दिनों तक इसका नियमित सेवन करे।
- पाइल्स की सूजन, जलन कम करने और कब्ज को दूर करने में सहायता करती है। -२० मिली एलोवेरा जूस को दिन में दो बार पानी मिलाकर पिए।
- चूर्ण २ सें ४ ग्राम की मात्रा गुड़ के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज दूर होती और बवासीर ठीक होती है।
- . की हर्बोपाइल्स, की आयुर्वेदिक दवाई है. में हरड़, निम्बोड़ि के साथ खूनी दवा रसवंती और नागकेशर भी शामिल है। को दूर कर पाइल्स के दर्द, चुभन और खुजली जैसे लक्षणों कम कर खून निकलना बंद करने में सहायता करती है।
बवासीर में परहेज (Changements de régime pour les patients pieux)
में क्या खाएं
- में फाइबर (मेथी, पालक); ; में पपीता, , , , , का सेवन करे।
- की फलियां, , , , कब्ज से राहत देती है।
- , नींबू पानी, , लस्सी पी सकते हैं।
- में कम से कम 8 गिलास पानी पिए।
में क्या न खाएं
- फूड, या जंक फूड, से बनी चीजों को ना खाए ।
- , बैंगन, , , , न खाए। , अंडा और मछली से परहेज करे।
- कॉफी और चाय ना पिए। , सिगरेट और तंबाकू से बचें।
Références:
- Santé Harvard Publishing. École de médecine de Harvard [interne]. Hémorroïdes et que faire à leur sujet. 6 février 2019. Université Harvard, Cambridge, Massachusetts. https://www.health.harvard.edu/diseases-and-conditions/hemorrhoids_and_what_to_do_about_them
- Causes et traitement des piles (Arsh) A Review, World Journal of Pharmaceutical and Medical Research, 2018,4(6), 133-135. https://www.wjpmr.com/home/article_abstract/1276
- Abdul Ahad, Hindustan & Kumar, Chitta & Reddy, Kishore & Kranthi, G & CH, Krishna & Kali, Sabrina & T, Mahendra. (2010). TRAITEMENT AUX HERBES POUR LES HEMORRHODES. Journal des tendances innovantes en sciences pharmaceutiques. https://journaldatabase.info/articles/herbal_treatment_for_hemorrhoids.html
- Hamilton Bailey, Christopher JK Bulstrode, Robert John McNeill Love, P. Ronan O'Connell. Courte pratique de chirurgie de Bailey & Love. 25e édition groupe Taylor et fransis, États-Unis.
- Rao, S. & Lakshmi, Dr (2014). Remèdes naturels pour les hémorroïdes et les saignements de tas - une mise à jour. Journal de recherche de la pharmacie et de la technologie. 7. 253-254. https://rjptonline.org/HTMLPaper.aspx?Journal=Research%20Journal%20of%20Pharmacy%20and%20Technology;PID=2014-7-2-17
Dr Surya Bhagwati
BAMS (Ayurveda), DHA (Administration hospitalière), DHHCM (Gestion de la santé), DHBTC (Herbal Beauty and Cosmetology)
Le Dr Surya Bhagwati est un expert ayurvédique établi et bien connu avec plus de 30 ans d'expérience dans le traitement et le conseil dans le domaine de l'Ayurveda. Elle est reconnue pour la prestation rapide, efficace et centrée sur le patient de soins de santé de qualité. Les patients dont elle s'occupe reçoivent un traitement holistique unique comprenant non seulement un traitement médicamenteux mais aussi une émancipation spirituelle.